मदर टेरेसा हिंदी निबंध mother Teresa hindi essay
शांति की दूत मदर टेरेसा जब १८ वर्ष की उम्र में अपने देश से कोलकाता आई, तब किसी ने नहीं सोचा होगा की वह हमारे देश के लिए इतना बड़ा काम कर जाएगी। मानव जाति की आजीवन सेवा का संकल्प करके जब मदर टेरेसा ने हमारे देश में कदम रखा, उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। उनका जन्म २६ अगस्त १९१० को यूगोस्लाविया के स्कॉप्जे में हुआ। वे अल्बेनियन नागरिक थी। १८ वर्ष की उम्र में उन्होंने ईसाई नन बनने की दीक्षा प्राप्त की। अपने आसपास फैली दरिद्रता को देखकर उनका मन विचलित हुआ। उन्होंने बस अपने सामने एक लक्ष्य रखा गरीब, बीमार और अनाथों की सेवा।
६ जनवरी १९२९ को सिस्टर टेरेसा कोलकाता के लॉरेटो कॉन्व्हेंन्ट में आई और पूरी लगन से पाठशाला में पढ़ाती रही। परंतु उनका साारा मन निर्धन औ लाचार लोगों की ओर लगा रहता था। अंत में उन्होंने पटना के होली फॅमिल अस्पताल में नर्सिंग का प्रशिक्षण पूरा किया और १९४८ में वापस कलकत्त आकर एक समाजसेवी संस्था के साथ गरीब बुजुर्गों की सेवा में जुट गई। वह मरीज़ों के घाव धोती, उन्हें मरहम पट्टी करती थी। अंत में उन्होंने १९५० मिशनरीज़ ऑफ चॅरिटीज की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने कई आश्चर भी खोलें और बेघर, असहाय, शरणार्थी, शराबी, बुढ़े और असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों को सहारा दिया। विकलांग बच्चों, सड़क के किनारे पड़े बेसहार। लोगों ने उनकी ममतामयी छाया में आश्रय लिया। तभी तो सब उन्हें मदर याने माँ