राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जनमदिन पर हिंदी भाषण hindi speech on mahatma gandhi jayanti
आज के कार्यक्रम के सन्माननीय अध्यक्ष उपाध्यक्ष मेरे गुरुजन और मेरे भाई और बहनों आज अपने स्कूल मे महात्मा गांधीजी की जयंती मनाई जा रही है इस अवसर पर मै तुम्हे गांधीजी के बारे मे भाषण देने जा रही हू महात्मा गाँधी हमेशा हमारे हृदय के निकट रहते है। हम उन्हें ‘बापू’ या ‘राष्ट्रपिता’ भी कहते है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है | उनका जनम २ अक्टूबर १८६९ को गुजरात के पोरबंदर मे हुआ था ।
गांधीजी बहुत बड़े स्वतंत्रता सैनिक थे। उनके महान कार्य के कारन उन्हें ‘महात्मा’ कहा जाता है। गांधीजी ने हमेशा अहिंसा, सत्य और शान्ति का मार्ग अपनाया और अपने अनुयायियों को भी अहिंसा, सत्य और शांति के मार्ग पे चलने को कहा।
जब वह २४ वर्ष के थे वे दक्षिण अफ्रीका के ब्रिटिश कॉलोनी मे अपनी वकालत करने गए। वहा १९१३ से १९१४ तक एक वर्ष रहे। एक वकील के रूप मे वहा जादातर दिक्षिण अफ्रीका में रह रहे हिन्दुस्तानियों के कानूनी केस देखा करते थे । जब वह अपनी वकालत कर रहे थे उन्होंने वह भारतीयों के साथ बेध भाव देखा। वह स्वयं भी भेद भाव का शिकार हुए, पर फिर भी अपना काम जारी रखा । एक बार तो उन्हें रेल के प्रथम श्रेणी के कम्पार्टमेंट से बहार फेक दिया गया, उस समय उन्हें बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।
गांधीजी १९१५ मे भारत लौट आये। भारत लौटकर उन्होंने यहाँ भारतीयों कि मदत कि और दुष्ट अँगरेज़ सर्कार के खिलाफ असहयोग
आन्दोलन शुरू किया । कुछ समय बाद गांधीजी ने ‘भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस’ कि सदस्यता ली और कांग्रेस के अधक्ष्य भी बने। उन्होंने भारतीय राजनीती मे अध्यात्म को लाया। उन्होंने समाज से जातिपात, बिचड़े वर्ग कि भलाई जैसी सामाजिक समस्याओ के लिए काम किया | उन्होंने गावो कि तर्रक्की के लिए सबको प्रेरित किया ।
कानों का दुरुपयोग मन को दूषित और अशांत करता है। किसी की मेहरबानी माँगाना, अपनी आजादी बेचना है। आँख के बदले में आँख पूरे दुनीया को अँधा बना देगी। विश्व में कुछ ऐसे भी लोग हैं जोइतने भूखे हैं कि भगवान् उन्हें किसी और रूप मेंनहीं दिख सकता, सिवाय रोटी देने वाले के रूप में। जब आपका सामना किसीविरोधी से हो, तो उसे प्रेम से जीतें, अहिंसा से जीते।
विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है। महात्मा गाँधीजो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है। महात्मा गाँधी कहते थे व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है. महात्मा गाँधी कहते थे कि हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें। हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा। आख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी…. महात्मा गाँधीजी का थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है।